न न न न छूना इन्हें इन्हें केवल देखो
ये खिलौने नहीं हैं ये सपने हैं अभी कच्चे हैं छूते ही ये भहरा जाएँगे। ('रेत में आकृतियाँ' संग्रह से)
हिंदी समय में श्रीप्रकाश शुक्ल की रचनाएँ